मेरी राय
कोरोना कर्मवीर योद्धाओं की जय हो
योद्धाओं कोरोना नामक अदृश्य दैत्य का मुकाबला हम जिन कर्मवीर योद्धाओं के बल पर कर रहे हैं, उनके अदम्य साहस, कर्मठता, त्याग व लगन की पूरे देश को मुक्तकंठ से प्रशंसा करनी चाहिये। इनमें माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा जिन कर्मवीरों को शामिल किया गया है,उनमें सर्वप्रथम डॉक्टर, नर्स व चिकित्सा स्टाफ, सभी सुरक्षाकर्मी, सफाई कर्मचारीगण व मीडिया जगत से जुड़े कर्मवीर हैं। वैसे तो कोरोना से लड़ने हेतु ये चारों ही बहुत महत्वपूर्ण हैं लेकिन यदि प्राथमिकता के अनुसार क्रम दिया जाये तो सबसे महत्वपूर्ण भूमिका उन डॉक्टरों व उनके साथ कार्य कर रहे सहयोगी चिकित्सा स्टाफ, नसों की है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना के उन मरीनों का इलाज करते हैं जिन्हें स्पर्श करने की हिम्मत उनके घरवालों की भी नहीं होती है। इसके साथ ही इन चिकित्सकों को मरीजों का इलाज करने के बाद अपने घर परिवार से भी हफ्तों दूर रहना पड़ता है कि कहीं उनके साथ कोरोना का वायरस उनके परिवार के किसी भी सदस्य को प्रभावित न कर दे।
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का इलाज करते-करते कई डॉक्टरों का निधन भी हो गया है लेकिन फिर भी दूसरे डॉक्टरों व चिकित्सा स्टाफ ने हिम्मत नहीं हारी है। गाजियाबाद में भी एक सरकारी अस्पताल के डॉक्टर, कोरोना मरीजों का इलाज करतेकरते स्वयं संक्रमित हो गये। डॉक्टर स्वयं तो पॉजिटिव हो ही गये। साथ ही उनके परिवारीजनों व सहयोगियों को भी 14 दिन के 'एकांतवास' में भेज दिया गया। इन चिकित्साकर्मियों को मरीजों के इलाज करने के बाद, स्वयं को भी घर से दूर किसी होटल में रात्रि विश्राम करना पड़ता है। फिर भी कई बदतमीन जमातियों ने तो इन धरती के भगवानों के साथ अभद्र व्यवहार किया, किसी ने थूक भी दिया तो किसी मरीन ने मारपीट की। इंदौर में जांच करने गई एक टीम के ऊपर पत्थरबाजी तक की गई जबकि ये हमारी जान बचाने के लिए तो काम कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी ये चिकित्सक वक्त की नजाकत को देखते हुए, आज भी कोरोना वायरस को देश से बाहर करने के लिए पूरा संघर्ष कर रहे हैं। इनके समर्पण की जितनी प्रशंसा की जाये, कम ही है।
इनके बाद दूसरा बड़ा योगदान सफाई कर्मियों का है, जो कि दिन-रात परिश्रम करके, आपकी गली व सड़कों की सफाई व्यवस्था को चाक-चौबन्द रखते हैं। जब हमें घर के अन्दर आराम करने में भी कष्ट हो रहा है तब पुलिस के जवान अपनी ड्यूटी पर दिन-रात मुश्तैद खड़े हैं, बैरीकेडिंग पर तैनात हैं व गाड़ियों पर गश्त कर कानून व्यवस्था बना रहे हैं। आज पूरे देश में पुलिस का चेहरा भी बदला-बदला नजर आ रहा है। सख्त व्यवहार त्याग कर ये जरूरतमंदों को ना केवल भोजन बांट रहे हैं बल्कि सड़क पर अपनी नरूरत का सामान लेने जाने वाले व्यक्तियों को भी नहीं रोक-टोक रहे हैं। कई जगहों पर तो इन्हें उन संक्रमित्त जमातियों से भी उलझना पड़ रहा है जो आज स्वयं अपने व देश दोनों के दुश्मन बन गये हैं। पटियाला में ड्यूटी कर रहे दरोगाजी का रविवार को एक सिख ने कृपाण से हाथ ही काट दिया। ऐसे कर्मठ सुरक्षा कर्मियों को नमन करना चाहिये।
मीडिया कर्मियों का भी कोरोना की लड़ाई में अपना विशेष योगदान है ये लोग नगह-जगह भागदौड़ करके समाचार संकलित करते हैं। ताकि हमें देश-दुनिया की सटीक जानकारी मिल सके। साथ ही उन समाचार पत्र वितरकों के साहस की भी प्रशंसा की जानी चाहिये जो सुबह उठकर पूरी दुनिया की खबरों से युक्त समाचार पत्रों को आपके हमारे घरों पर पहुंचाते हैं।
मेरी राय है कि हम घर में आराम करते हए यदि और कुछ ज्यादान कर सकेतसेशल मीडिया पर डॉक्टरों, सुरक्षाकर्मियो, सफाई कर्मियों मीडिया जगत के कर्मवीर योद्धाओं की प्रशसा अवश्य करनी चाहिये। इससे इनका उत्साह और कार्य करने की इच्छा में वृद्धि होगी तथा यदि हमारे घरों के आसपास इन चारों कर्मवीरो मेसे किसीकापरिवार रहरहा है तो हमारा दायित्व है किहम उनकीजरूरत का पूरा ध्यान रखें।इनकर्मवीर योद्धाओं के परिवाजनों का उत्साह भी बढ़ाते रहे।