मेरी राय

मेरी राय


कर्मवीर योद्धाओं पर हमले शर्मनाक


एक तरफ देश कोरोना जैसी जानलेवा महामारी से जंग लड़ रहा है, पीएम मोदी के आह्वान पर लगभग एक सौ तीस करोड़ हिन्दुस्तानियों ने अपने को लगभग एक महीने से, अपने ही घरों के दरवाजों के पीछे कैद कर रखा है। देश में जो लोग जानलेवा कोरोना बीमारी से पीड़ित हो गये हैं अथवा पीड़ित होने के निकट हैं, हमारे देश के चिकित्सक व नसिंग स्टाफ, अपनी जान  को जोखिम में डालकर उनका तथा सम्भव इलाज कर रहे हैं। यही कारण है कि गाजियाबाद में अभी तक एक भी व्यक्ति को इन देवदूतों ने मरने नहीं दिया है। इसके बदले में चिकित्सक स्वयं बेशक, कोरोना के शिकार हो गये। वहीं दिल्ली को छोड़कर पूरे एनसीआर में केवल एक मौत गुड़गांव में हुई है जबकि अकेले दिल्ली में ही 45 व्यक्तियों ने कोरोना वायरस के कारण दम तोड़ा है। वहीं पूरे देश में दो महीने में 543 लोग कोरोना के रोग से मरे हैं। यदि वहीं पूरे देश में दो महीने में 543 लोग कोरोना के रोग से मरे हैं। यदि पूरे विश्व में नजर डालें तो 1,65,105 लोग इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवा बैठे हैं।


मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि यह बीमारी जनवरी के आखिरी सप्ताह में पूरी दुनिया में एक साथ प्रभाव में आई, लेकिन दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश भारत में, कोरोना के कारण जहाँ मौतों की संख्या 543 है, वहीं पूरी दुनिया में 1,65,105 है। यदि इसमें से भारत के 543 मृत जाक्तियों की संख्या निकाल दें तो भारत को छोड़कर पूरी दुनिया में 1,64,452 मौतें हुई हैं, जिनमें प्रमुख प्रभावित देश अमेरिका, स्पेन, ईरान, इटली, चीन व यूरोप आदि हैं।


हम चर्चा करते हैं कि हमारे देश में इतनी कम जनहानि क्यों हुई है। जबकि दुनिया के दूसरे उन देशों में हजारों व्यक्ति रोज मर रहे हैं, जो हमसे न केवल चिकित्स पद्धति में, बल्कि सम्पन्नता में भी बहुत आगे हैं तो केवल दो ही कारण सामने आते हैं एक तो प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा समयसमय पर अनेक कदमों के साथ लॉकडाउन जैसे सख्त कदम को सख्ती के साथ लागू करना, दूसरे हमारे चिकित्सकों एवं उनकी टीम द्वारा अपनी जान जोखिम में डालकर कोरोना पीड़ितों का इलाज जी जान से करना। लेकिन हमारा सर शर्म से तब एक जाता है, जब हमारे ही देश के कुछ नासमझ, नालानक व गैर जिम्मेदार लोग इन चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ के साथ मारपीट व बदतमीजी करते हैं। ये लोग जमातियों के रूप में सामने आकर न केवल मुस्लिम समुदाय को, बल्कि पूरे देश को दुनिया में बदनाम कर रहे हैं। क्योंकि इन 17000 हजार संक्रमित मरीजों में लगभग 30 प्रतिशत जमाती हैं।


यदि निजामुद्दीन मरकज में मौलाना शाद अपने हजारों जमातियों को साथ लेकर शिपा नहीं होता तो इन पॉजिटिव जमातियों की वजह से हमें ये दिन नहीं देखना पड़ता और लॉकडाउन भी 14 अप्रैल को खुल जाता। देश में आज 17,000 से ज्यादा कोरोना पीड़ित हैं जिसमें पूरे देश में 30 प्रतिशत जमाती है यानि 5500 इन लोगों में जमाती हैं। उत्तर प्रदेश में 59 प्रतिशत व दिल्ली में 63 प्रतिशत कोरोना संक्रमित मरीज केवल जमाती हैं। इसके बावजूद भी ये जमाती और इनके समर्थक उन्हीं डाक्टरों व पुलिस पर एवं नर्सिग टीम पर जगह-जगह हमले कर रहे हैं। मेरठ, इन्दौर, मुरादाबाद, बुलन्दशहर व दिल्ली आदि जगह प्रमुख हैं, जहां हमले हो रहे हैं। ये बेशर्म जमाती न केवल डॉक्टरों पर बल्कि देश की पुलिस पर भी हमला कर रहे हैं।


मेरी राव है कि अब कुन हो गया इनजमातियों को सबक सिखाने का सही कत आ चुका है। जो ऐसे नजुक कात में भी देश के साथ नहीं खडे है, उनसे भविष्यमका की क्या उम्मीद की जासकती है।जबकिडनजमतियो कोशायदमालुम नहीं है कि जितनी बदतमीजी इस मुल्क में करके भी अज जिया है यदिइसकी आवी बदतमीजी मुस्लिम देश जैसे दुबई, ईरान, कुवैत में की होती तो वहां के शरीयत कानून के अनुसार अबक सजा के तौर पर इनके सिर कलम तक कर दिये गये होते ।इन सभीकी इसप्रकार की बदतमीजी केवल भारत में ही बर्दाश्त कीजारही है कि हमारे देशकीलबीकानूनी प्रक्रियवराजनैतिक दलो में वेटलाकनेकीललसा के कारण, कोई भी सरकार चाह कर भीइन उत्पतियों के विरुद्ध सख्त कदम नहीं उठा पाती है, जिसका ऐसे लोग लाभ उठाते है। लेकिन ऐसे नजक काल में जब किसी व्यक्ति की, जरासीगलतीयालापरवाही से लाखोब्यक्तियकीजामजसकती है। ऐसे में सरकार तोइन गैर जिम्मेदार जमातियों के विरुद्ध सख्त कदम उठाने चाहिये तथा इनके विरुद्ध सख्त नियम बनानेवाहिये ताकि भक्यि में दुबरा ऐसी लापरवाहीन हो सके।