लो हो गया,गंगा तेरा पानी अमृत
•करोड़ों खर्च के बाद भी सरकार हुई फेल, करोना वायरस ने दिखाया अपना खेल
नई दिल्ली। कोरोना वायरस की महामारी के चले दुनिया भर में आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है। इस महामारी में संक्रमित रोगियों के उपचार में आनेवले मेडिकल उपकरण काफी महंगे होते है, जिन्हें प्रत्येक मरीज के लिए यरीदना संभव नहीं होता है। इसके अलावा पूरे विश्व में लॉकडाउन की स्थिति में कारोबार, कल-कारखाने आदिआय के सभी स्रोत बंद है। इससे सभी देशोकेसमक्ष आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। ऐसी हीस्थिति हमारे देश के सामने आ गई है। इस समय लॉकडाउन ने एक अच्छी खबर दी है कि इस लॉकडाउन से कुदरत को राहत मिली है,कहे वह क्युप्रदूमणहो, जल प्रदूषण हो, बनि प्रदूषण हो सभी कम हो गये हैं। इसका असर हमारी नदियों पर स्पष्ट पड़त दिखाई दे रहा है। देश की प्रसिद्ध गंगा और यमुना नदिवे का जल स्वत:ही निर्मल हो गया है तथाइसकीवरा भी निर्वाव हो गई है। इस कार्य के लिए सरकार ने हजारों करोड़ रुपये खर्वकी योजना बना रखी थी और इस फंड की व्यवस्था इस कितीय वर्ष में आरक्षित कर रखी है।चुकिजा यह कार्यकुदरखनेबगर कोई खर्च कराये कर दिया का वक्त की मांग है कि गंगा सफाई के लिये आरक्षित आठ हजार करोड़ रूपये को कोरोना से निपटने वाले व्यय में लगाना चाहिये। 1983 से चली आ रही गंगा सफाई योजना के भारीभरकम रशिखर्च की जा चुकी है। अबवर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार ने गंगा एक्शन प्लान का नाम बदलकर नमामि गंगेरखा है और इस योजना के लिए 42019-20 में 20,000 करोड़ रुपये कीराशिरखी है। इसीतरहयम्मनदीकी लिएकोईखासयोजनचलाने साफ सफाई के लिए भी 825 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की गई है। लॉकडाउन के दौरान अवयह अच्छीखबर सामने आई है कि दोनों हीनदियों काजल निर्मल और स्वच्छ होगया है। अब यदिइन दोनों नदियों का जल साफ हो गया है तो फिर इन नदियों की सफाई के लिए रखी गयी धनराशि को कोरोना के संकट से निपटने में इस्तेमाल किया जाना चाहिये। इससे देशपर पड़रहे अनवश्यक आर्थिक बझको कुछ हद तक कम किया जा सकता है। लॉकडाउन के चलते 18 दिन से बंद चल रहे कल-कारखानोसे निकलनेवाला जहरीला पानी का प्रवाह इन नदियों में रुकने के कारण जल स्वतःही शुद्ध हो गया है। इन दोनों नदियों के जल के रंग में आये परिवर्तन से पर्यावरण विशेषज्ञों ने खुशी जाहिर की है। सबही मीडिया में इन दोनों नदियों के स्वच्छ जलकी तस्वीर भी सामनेआरही है। इससेयह महसूस किया जारहा है कि वर्तमान स्थिति को देखोहुए सरकार कोइन नदियों को साफ करने के लिएकोईखासयोजनचलाने कीजरूरत नही है । इनपर्यावरण विशेषज्ञ का सुझाव है कि सरकार कोइननदियो परखर्च होने वाली धनराशि को कोरोना वायरस से इंसानों को बचाने के कार्य में लगनी चहिये।